Monday, 18 August 2014

जिलानुसार राजस्थान की नदियां

जिलानुसार राजस्थान की नदियां 



Teju jani143





जिला
प्रवाहित होने वाली नदियां
अजमेर
सागरमतीसरस्वतीखारीडाईबनास
अलवर
साबीरूपारेलकालीगौरीसोटा
उदयपुर
बनासबेड़चवाकलसोमजाखमसाबरमती
कोटा
चम्बलकालीसिंधपार्वतीआउनवेजापरबन
गंगानगर
घग्घर
चित्तौड़गढ़
बनासबेड़चबामणीबागलीबागनऔराईगम्भीरीसीबनाजाखममाही
चूरू
कोई नदी नहीं
जयपुर
बाणगंगाबांडीढूंढमोरेलसाबीडाईसखामाशी
जालौर
लूनीबांडीजवाईसूकड़ी
जैसलमेर
काकनेयलाठीचांघणधडआधोगड़ी
जोधपुर
लूनीमाठड़ीजोजरी
झालावाड़
कालीसिंधपार्वतीछोटी कालीसिंधनिववाज
झुंझुनू
कांतली
टोंक
बनासमाशीबांडी
डूंगरपुर
सोममाहीसोनी
नागौर
लूनी
पाली
लीलड़ीबांडीसूकड़ीजवाई
बाड़मेर
लूनीसूकड़ी
बांसवाड़ा
माहीअन्नासचैनी
बीकानेर
कोई नदी नहीं
बूंदी
कुराल
भरतपुर
चम्बलबरहाबाणगंगागंभीरीपार्वती
भीलवाड़ा
बनासकोठारीबेड़चमेनालीमानसीखारी
सवाई माधोपुर
चम्बलबनासमोरेल
सिरोही
पं. बनाससूकड़ीपोसालियाखातीखिशनावतीभूला और सुखदा
सीकर
कान्तलीमन्थापावटाकावंत
धौलपुर
चम्बल
दौसा
मोरेलबाणगंगा
बारां
पार्वतीकुकूपरवान
राजसमंद
बनासचंद्रभागाखारी

राजस्थान की प्रमुख झीलें व बांध

राजस्थान की प्रमुख झीलें व बांध 


Teju jani143




जिला
झीलें/बांध
अजमेर
आना सागरफाई सागरपुष्करनारायण सागर बांध
अलवर
राजसमन्दसिलीसेढ़
बाँसवाड़ा  
बजाज सागर बांधकहाणा बांध
भरतपुर
शाही बांधबारेण बांधबन्ध बरेठा बांध
भीलबाड़ा
सरेपी बांधउन्मेद सागरमांड़लीसबखड़ बांधखाड़ी बांधजैतपुर बांध
बीकानेर  
गजनेरअनुप सागरसूर सागरकोलायतजी
बूंदी  
नवलखाँ झील
चित्तौड़गढ़
भूपाल सागरराणा प्रताप सागर
चुरु  
छापरताल
धौलपुर
तालाबशाही
डूंगरपुर
गौरव सागर
जयपुर
गलतारामगढ़ बांधछापरवाड़ा
जैसलमेर
धारसी सागरगढ़ीसरअमर सागरबुझ झील
जोधपुर
बीसलपुर बांधबालसमन्दप्रताप सागरउम्मेद सागरकायलानातख्त सागरपिचियाक बांध
कोटा
जवाहर सागर बांधकोटा बांध
पाली
हेमा बास बांधजवाई बांधबांकलीसरदार समन्द
सिरोही
नक्की झील (आबू पर्वत)
उदयपुर
जयसमन्दराजसमन्दउदयसागरफतेह सागरस्वरुप सागर और पिछोला

राजस्थान की प्रमुख नदियों का विवरण


राजस्थान की प्रमुख नदियों का विवरण 




Teju jani143



इस नदी का प्राचीन नाम चर्मावती है। कुछ स्थानों पर इसेकामधेनु भी कहा जाता है। यह नदी मध्य प्रदेश के मऊ के दक्षिण में मानपुर के समीप जनापाव पहाड़ी (616 मीटर ऊँची) के विन्ध्यन कगारों के उत्तरी पार्श्व से निकलती है।अपने उदगम् स्थल से 325 किलोमीटर उत्तर दिशा की ओर एक लंबे संकीर्ण मार्ग से तीव्रगति से प्रवाहित होती हुई चौरासीगढ़ के समीप राजस्थान में प्रवेश करती है। यहां से कोटा तक लगभग 113 किलोमीटर की दूरी एक गार्ज से बहकर तय करती है। चंबल नदी पर भैंस रोड़गढ़ के पास प्रख्यात चूलिया प्रपात है। यह नदी राजस्थान के कोटाबून्दीसवाई माधोपुर व धौलपुर जिलों में बहती हुई उत्तर-प्रदेश के इटावा जिले मुरादगंज स्थान में यमुना में मिल जाती है। यह राजस्थान की एक मात्र ऐसी नदी है जो सालभर बहती है। इस नदी पर गांधी सागरराणा प्रताप सागरजवाहर सागर और कोटा बैराज बांध बने हैं। ये बाँध सिंचाई तथा विद्युत ऊर्जा के प्रमुख स्रोत हैं। चम्बल की प्रमुख सहायक नदियों में कालीसिन्धपार्वतीबनासकुराई तथा बामनी है। इस नदी की कुल लंबाई 965 किलोमीटर है। यहराजस्थान में कुल 376 किलोमीटर तक बहती है।
बनास एक मात्र ऐसी नदी है जो संपूर्ण चक्र राजस्थान में ही पूरा करती है। बनअआस अर्थात बनास अर्थात (वन की आशा) के रुप में जानी जाने वाली यह नदी उदयपुर जिले के अरावली पर्वत श्रेणियों में कुंभलगढ़ के पास खमनौर की पहाड़ियों से निकलती है। यह नाथद्वारा, कंकरोली,राजसमंद और भीलवाड़ा जिले में बहती हुई टौंक, सवाई माधोपुर के पश्चात रामेश्वरम के नजदीक (सवाई माधोपुर) चंबल में गिर जाती है। इसकी लंबाई लगभग 480 किलोमीटर है। इसकी सहायक नदियों में बेडच, कोठरी, मांसी, खारी, मुरेल व धुन्ध है। (i )बेडच नदी 190 किलोमीटर लंबी है तथा गोगंडा पहाड़ियों (उदयपुर) से निकलती है। (ii )कोठारी नदी उत्तरी राजसमंद जिले के दिवेर पहाड़ियों से निकलती है। यह 145 किलोमीटर लंबी है तथा यह उदयपुर, भीलवाड़ा में बहती हुई बनास में मिल जाती है। (iii) खारी नदी 80 किलोमीटर लंबी है तथा राजसामंद के बिजराल की पहाड़ियों से निकलकर देवली (टौंक) के नजदीक बनास में मिल जाती है।

राजस्थान में वर्षा जल संरक्षण की शब्दावली

राजस्थान में वर्षा जल संरक्षण की शब्दावली 




Teju jani143







राजस्थान की प्रशासनिक इकाईयाँ

राजस्थान की प्रशासनिक इकाईयाँ 



Teju jani143



राजस्थान समसामयिकी - 17/02/2012 - अलवर जिले के मूंडियावास में तांबे, सोने और चांदी के भंडार

राजस्थान - अलवर जिले के मूंडियावास में तांबे, सोने और चांदी के भंडार 




Teju jani143


जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण) के अधिकारियों ने अलवर जिले के मूंडियावास में तांबे, सोने और चांदी के भंडार के मिलने को विश्व स्तरीय खोज बताया है।

उन्होंने कहा है कि देश में भी पिछले 15 साल के दौरान बेशकीमती खनिजों की ऐसी कोई बड़ी खोज नहीं हुई है। यह खोज राजस्थान के लिए इतनी महत्वपूर्ण है कि इससे 15 साल में अलवर और आसपास के जिलों का चेहरा बदल जाएगा। इन क्षेत्रों में सड़कों का जाल बिछेगा। रोजगार का नेटवर्क शुरू होगा। इलाके में नई खेतड़ी या जावर जैसी तस्वीर उभरेगी, जो यहां के लोंगों में समृद्धि लाएगी।

जीएसआई की राजस्थान इकाई के डिप्टी डायरेक्टर जनरल डॉ. एसके वधावन ने बताया कि अलवर के मूंडियावास में जीएसआई की इस विश्व स्तरीय खोज से राजस्थान और एनसीआर क्षेत्र में महत्वपूर्ण असर पड़ने वाला है। तांबे-सोने और चांदी का खनन शुरू होने के बाद इस इलाके में बड़े उद्योगों की स्थापना होने की पूरी संभावना है। जीएसआई को इस इलाके में मिले नमूनों से पता चला है कि यहां तांबा बहुतायत में है।

इसके बाद सोने और चांदी की मात्रा है। सोना और चांदी यहां बाई प्रोडक्ट के तौर पर मौजूद हैं। वधावन के अनुसार अब जीएसआई के पास ऐसी तकनीक है, जो इन तीनों धातुओं को अलग-अलग कर सकती है।

उन्होंने बताया कि यहां जीएसआई पिछले 3 साल से लगातार खोज कर रही थी। अब काम लगभग पूरा हो गया है। अब पर्यावरण के लिए बेसलाइन बनाई जाएगी, ताकि उद्योगों के विकास के समय पर्यावरणीय नुकसान नहीं हों। इसके तहत क्षेत्र के भूजल स्तर, वृक्षों और वनस्पति की स्थिति, प्रदूषण और कृषि आदि के हालात की मॉनिटरिंग की जाएगी।

इन भू-वैज्ञानिकों ने किया काम

जीएसआई के पश्चिमी क्षेत्र के निदेशक डी.के. राय के निर्देशन में एस. मुखोपाध्याय, आर.के. शर्मा, वी. शर्मा, डी. भूपति, इसराइल खान सहित कई वरिष्ठ भू वैज्ञानिकों ने यह अहम खोज की। यहां सोने, चांदी और तांबे की खोज 2006 में शुरू हुई थी। पिछले 3 साल में काफी ज्यादा काम हुआ।