Monday 18 August 2014

राजस्थान के प्रमुख त्यौंहार, उत्सव एवं मेले

राजस्थान के प्रमुख त्यौंहार, उत्सव एवं मेले




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त्यौंहार एवं उत्सव

यद्यपि राजस्थान की मरूभूमि शुष्क है फिर भी उत्सवों त्यौंहारों एवं पारस्परिक मेल-मिलाप से रगं -रसमय है। राजस्थान में हिन्दू-मुस्लिम और इसाइयों के सभी त्यौंहार उत्साह, उल्लासपूर्वक प्रेम भाई चारे के साथ सोहार्दपूर्ण वातावरण में मनाकर मानवीय एकता, सहिष्णुता का प्रदर्षन करते हैं। यहाँ के प्रमुख लोकोत्सव में गणगौर और तीज का महत्वपूर्ण स्थान है।
गणगौर का उत्सव होलिकात्सव से लेकर चैत्र षुक्ला तृतीया तक चलता है। सधवास्त्रियाँ आरै कुंवारियां सुहाग की अमरता एवं अच्छे वर की अभिलाषा में ईसर-ईसरी जी की पूजा करती है। यह उत्सव जयपुर, जोधपुर, उदयपुर आरै कोटा में गणगौर की सवारी निकालकर बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। तीज का त्यौंहार भाद्रपद कृश्णा तृतीया को बालिकाएँ एवं नवविवाहिताएँ प्रकृति के प्रांगण मंे गीतों का गायनकर, झूलों में झूलकर, नवीन पोषाक पहन कर, और मेहन्दी रचाकर मनाती हैं। जयपुर की तीज की सवारी प्रसिद्ध हैं। धामिर्क त्यौंहारों के अन्तगर्त हिन्दू दीपावली, हाली, दशहरा, अक्षयतृतीया, रक्षाबन्धन, जन्माष्टमी, गणेष चतुर्थी, शरदपूर्णिमा, बसन्तपंचमी, नागपंचमी, रामनवमी, हनुमान जयन्ती, षिवरात्री, अन्नकूट महोत्सव और गोवर्धन पूजा आदि परम्परागत तरीके से हर्षोल्लासपूर्वक मनाते हैं। जैन समाज में महावीर जयन्ती तथा भाद्रपद मास में पर्युषण पर्व व्रत, तप और अर्चना के साथ मनाते है। मुस्लिम समाज के प्रमुख त्यौहार इदुलजुहा, इदुलफितर, शबेरात, मोहर्रम और बारावफात उत्साह एवं भाईचारापूर्वक मनाए जाते हैं। इन त्योहारों में सभी समाज के लोगों में पे्रम, उल्लास और आनन्द का संचार होता है सामाजिक समरसता का विकास होता है तथा धार्मिक श्रृद्धा का संचार होता है। राजस्थान के प्रमुख त्यौहार एवं उनकी तिथियाँ निम्न हैः
प्रमुख त्यौहार एवं उनकी तिथियाँ
क्र.स. त्यौंहार तिथि
1. गणगौर फाल्गुन शुक्ल 15 से चेत्र षुक्ला 3 तक
2. महाषिवरात्री फाल्गनु कृष्ण पक्ष-13 (त्रयोदषी)
3. दीपावली कार्तिक कृष्ण पक्ष-अमावस्या
4. रक्षाबन्धन श्रावणमास पूर्णिमा
5. होली फाल्गुनमास पूर्णिमा
6. जन्माष्टमी भाद्रपदश्कृष्णपक्ष अष्टमी
7. गणेष चतुर्थी भाद्रपद शुक्लपक्ष चैथ
8. रामनवमी चेत्र षुक्ल पक्ष नवमी
9. क्रिसमस डे 25 दिसम्बर
10. मुहर्रम मुहर्रम माह की दस तारीख
11. ईद-उलफितर शव्वाल की पहली तारीख
12. तीज भाद्रपद कृष्णपक्ष तृतीया
13. पर्युषण भाद्रपद मास
14. दषहरा आश्विन शुक्लपक्ष दषमी
15. ईदउलजुहा जित्कार की दसवीं तारीख

मेले

राजस्थान के मेलें यहाँ की संस्कृति के परिचायक है। राजस्थान मंे मेलांे का आयोजन धर्म, लोकदेवता, लोकसंत और लोक संस्कृति से जुड़ा हुआ है। मेलों में नृत्य, गायन, तमाषा, बाजार आदि से लोगों में प्रेम व्यवहार, मेल-मिलाप बढ़ता है। राजस्थान के प्रत्येक अंचल में मेले लगते है। इन मेलों का प्रचलन प्रमुखतः मध्य काल से हुआ जब यहाँ के शासकों ने मेलों को प्रारम्भ कराया। मेले धार्मिक स्थलों पर एवं उत्सवों पर लगने की यहाँ परम्परा रही है जो आज भी प्रचलित है। राजस्थान मंे जिन उत्सवों पर मेले लगते है उनमें विशेष हैं- गणेश चतुर्थी, नवरात्र, अष्टमी, तीज, गणगौर, शिवरात्री, जनमाष्टमी, दशहरा, कार्तिक पूर्णिमा आदि। इसी प्रकार धार्मिक स्थलों (मंदिरों) पर लगने वाले मेलों में तेजाजी, शीतलामाता, रामदेवजी, गोगाजी, जाम्बेष्वर जी, हनुमान जी, महादेव, आवरीमाता, केलादेवी, करणीमाता, अम्बामाता, जगदीष जी, महावीर जी आदि प्रमुख है। राजस्थान के धर्मप्रधान मेलों में जयपुर में बालाजी का, हिण्डोन के पास महावीर जी का, अन्नकूट पर नाथद्वारा का, गोठमांगलोद में दधिमती माता का, एकलिंग जी में षिवरात्री का, केसरिया में धुलेव का, अलवर के पास भर्तहरि जी का और अजमेर के पास पुष्कर जी का मेला गलता मेला प्रमुख है। इन मेलों में लोग भाक्तिभावना से स्नान एवं अराधना करते हैं।  लोकसंतो और लोकदेवों की स्मृति एवं श्रद्धा में भी यहाँ अनेक मेलों का आयोजन होता है। रूणेचा में रामदवे जी का, परबतसर में तेजाजी का, काले गढ़ में पाबूजी का, ददेरवा में गोगाजी का, देशनोक में करणीमाता का, नरेणा(जयपुर)-शाहपुरा (भीलवाड़ा) में फूलडोल का, मुकाम में जम्भेष्वरजी का, गुलाबपुरा में गुलाब बाबा का और अजमेर में ख्वाजा साहब का मेला लगता है। यह मेले जीवन धारा को गतिषीलता एवं आनंद प्रदान करते है शान्ति, सहयोग और साम्प्रदायिक एकता को बढ़ाते है। मेलों का सांस्कृतिक पक्ष कला प्रदर्षन तथा सद्भावनाआंे की अभिवृद्धि है। मेलों का महत्त्व देवों और देवियों की आराधनाआंे की सिद्धि के लिए मनुष्य देवालयों में जाते हैं। मेलों से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक सांस्कृतिक परिपाटी प्रवाहित होती है जो संस्कृति की निरन्तरता के लिए आवष्यक है। इसके अतिरिक्त मेले व्यापारिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, विषेषकर पशु मेले तथा इसका मनोंरजन के लिये भी महत्व है।

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